बुर्सा तरल से भरी हुई छोटी थैली होती है जो हड्डी और अन्य चलने वाले भागों, जैसे मांसपेशी, स्नायु या त्वचा के बीच कुशन के रूप में काम करती है। बुर्सा में सूजन आने पर बर्साइटिस होता है। जोड़ का अत्यधिक प्रयोग करने पर लोगों को बर्साइटिस हो जाता है। यह किसी चोट की वजह से भी हो सकता है। यह आमतौर पर घुटने या कोहनी पर होता है। किसी कठोर सतह पर लंबे समय तक घुटनों के बल बैठने या कोहनी के बल झुकने पर बर्साइटिस शुरू हो सकता है। प्रतिदिन ऐसी ही गतिविधियां करने से या जोड़ों पर जोर देने से आपको यह रोग होने का जोखिम बढ़ता है।
बर्साइटिस के लक्षणों में दर्द और सूजन शामिल हैं। आपके चिकित्सक शारीरिक जांच, एक्स-रे और एमआरआई जैसे परीक्षण करके बर्साइटिस का पता लगा सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि समस्या संक्रामक तो नहीं है वो सूजे हुए भाग से तरल भी निकाल सकते हैं।
बर्साइटिस के उपचार में विश्राम, दर्द की दवा या बर्फ का प्रयोग किया जा सकता है। कोई सुधार ना होने पर, आपके चिकित्सक सूजे हुए बुर्सा वाले भाग के पास दवा का इंजेक्शन भी लगा सकते हैं। यदि 6 से 12 महीने के बाद भी जोड़ सही नहीं होता है तो आपको क्षति की मरम्मत के लिए और बुर्सा पर दबाव से राहत पाने के लिए सर्जरी की जरुरत पड़ सकती है।
एनआईएच: राष्ट्रीय गठिया, वात रोग और त्वचा रोग संस्थान