मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपके रक्त में शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है। रक्त में ग्लूकोज़़ ऊर्जा का मुख्य स्रोत है जिसे आप अपने भोजन से प्राप्त करते हैं। अग्न्याशय ग्रंथि (एक प्रकार की पाचक ग्रंथि) द्वारा बनाया गया हार्मोन इंसुलिन, आपके शरीर में भोजन से ग्लूकोज़़ को कोशिकाओं के अंदर पहुंचाता है, जिससे कोशिकाएं ऊर्जा प्राप्त करती हैं। कभी-कभी आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या इंसुलिन का उचित उपयोग नहीं कर पाता, तो इस स्थिति में ग्लूकोज़़ आपकी कोशिकाओं में न पहुंचकर आपके रक्त में ही रहता है।
लंबे समय तक, आपके रक्त में बहुत अधिक ग्लूकोज़़ होने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हालांकि मधुमेह का कोई इलाज नहीं है, लेकिन आप उचित कदम उठाकर मधुमेह को नियंत्रित करके स्वस्थ रह सकते हैं।
कुछ लोगों के रक्त में ग्लूकोज़़ के अत्यधिक उच्च स्तर नहीं होते लेकिन फिर भी इनमें मधुमेह होने की संभावना होती है।
मधुमेह के सबसे सामान्य प्रकार - टाइप 1, टाइप 2, और गर्भावस्था की मधुमेह हैं।
यदि आपको टाइप 1 मधुमेह है, तो आपका शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता है। इस प्रकार के मधुमेह में आपका प्रतिरक्षा तंत्र आपके अग्न्याशय (pancreas) में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उसे नष्ट कर देता है। टाइप 1 मधुमेह आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में पाया जाता है, हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकता है। टाइप 1 मधुमेह से ग्रसत लोगों को जीवित रहने के लिए हर दिन इंसुलिन लेने की जरूरत होती है।
टाइप 2 मधुमेह में आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या इंसुलिन का उचित उपयोग नहीं कर पाता। आपके जीवन की किसी भी उम्र में, यहाँ तक की बचपन में भी आपको टाइप 2 मधुमेह हो सकता है। हालांकि, इस प्रकार की मधुमेह अक्सर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में होता है। इसलिए इसे मधुमेह का सबसे आम प्रकार कहा जाता है।
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाला मधुमेह हो जाता है। ज्यादातर परिस्थितियों में यह बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है। हालांकि, अगर आपको कभी गर्भावस्था के दौरान होने वाला मधुमेह हुआ है, तो आपको बाद में जीवन में टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान होने वाला मधुमेह वास्तव में टाइप 2 मधुमेह ही होता है।
मोनोजेनिक मधुमेह, जो मधुमेह का आनुवंशिक रूप है, और सिस्टिक फाइब्रोसिस से संबंधित मधुमेह, मधुमेह का असामान्य प्रकार है।
मधुमेह वर्तमान में 6 करोड़ से अधिक भारतीयों को प्रभावित कर रहा है, जो वयस्क आबादी का 7.1% से भी अधिक है। लोगो में इस बीमारी की शुरुआत की औसत आयु 42 साल है। हर साल मधुमेह के कारण करीब 10 लाख भारतीय मर जाते हैं।
यदि आपकी उम्र 45 वर्ष या उससे अधिक हैं, या आपके पारिवारिक इतिहास में किसी को मधुमेह की बीमारी रही है, या आप अधिक वजन वाले हैं, तो आप में टाइप 2 मधुमेह होने की संभावनाएं अधिक हैं। शारीरिक रूप से कम सक्रिय, जाति, और कुछ स्वास्थ्य संभावनाएं जैसे उच्च रक्तचाप भी टाइप 2 मधुमेह होने की संभावनाओं को बढ़ाती हैं। यदि आपको पूर्व मधुमेह है या आपको कभी गर्भावस्था के दौरान होने वाला मधुमेह था, तो इन परिस्थितियों में भी आपको टाइप 2 मधुमेह होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं।
लंबे समय तक, रक्त में उच्च ग्लूकोज़़ रहने से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं-
मधुमेह के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
टाइप 1 मधुमेह के लक्षण कुछ हफ्तों में ही दिखने लगते हैं। टाइप 2 मधुमेह के लक्षण धीरे धीरे दिखने शुरू होते हैं, इसमें सालों लग जाते हैं और इतने कम हो सकते हैं कि आप शायद उन पर ध्यान ही न दें। कई बार टाइप 2 मधुमेह वाले कुछ लोगों में कोई भी लक्षण नहीं दिखते। कुछ लोगों को तब तक यह पता नहीं चलता कि उन्हें मधुमेह है, जब तक उन्हें मधुमेह से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होतीं जैसे कि दृष्टि में धुंधलापन और हृदय की समस्या।
टाइप 1 मधुमेह तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (आपके शरीर में संक्रमणों से लड़ने वाली प्रणाली) अग्न्याशय (pancreas) की इन्सुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें नष्ट कर देती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि टाइप 1 मधुमेह जीन और वातावरण संबंधी तत्वों जैसे विषाणु अन्य के कारण होता है।
यह सबसे आम प्रकार का मधुमेह होता है जिसके होने के कई कारण हैं, जैसे व्यक्ति का रहन-सहन और जीन।
अगर आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं या आपका वजन बहुत ज़्यादा है तो आपको टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना ज़्यादा है। अधिक वजन के कारण इन्सुलिन के बनने में रुकावट आती है और यह टाइप 2 वाले लोगों में सामान्य है। शरीर में किस जगह पर चर्बी अधिक है, उससे भी फ़र्क़ पड़ता है। पेट पर अधिक चर्बी इन्सुलिन के बनने में रुकावट, टाइप 2 के मधुमेह, हृदय और रक्त वाहिकाओं की बीमारी से जुड़ी होती है।
टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) आमतौर पर इन्सुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांसपेशी, जिगर और वसा युक्त कोशिकाएं इन्सुलिन का अच्छे से उपयोग नहीं कर पातीं। इसके परिणामस्वरूप ग्लूकोज़ को कोशिकाओं में प्रवेश करवाने के लिए आपके शरीर को ज़्यादा इन्सुलिन की जरूरत होती है। इस बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए शुरुआत में अग्न्याशय अधिक मात्रा में इन्सुलिन बनाता है। समय के साथ, अग्न्याशय पर्याप्त इन्सुलिन नहीं बना पाता जिससे रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर बढ़ जाते हैं।
टाइप 1 मधुमेह (type 1 diabetes) की तरह, कुछ जीन के होने से टाइप 2 मधुमेह के होने की संभावना भी बढ़ जाती है। यह बीमारी परिवारों में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती है। जीन के कारण एक व्यक्ति के शरीर का वजन और चर्बी भी बढ़ सकती है, जिसके कारण उसमें टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान होने वाला मधुमेह, महिला में गर्भावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोन संबंधी परिवर्तनों (जीन और जीवनशैली संबंधी कारक) के कारण होता है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भनाल द्वारा जारी किए गए हॉर्मोन के कारण आपका शरीर इन्सुलिन का उपयोग नहीं कर पाता। ज़्यादातर गर्भवती महिलाओं में पर्याप्त इन्सुलिन का उत्पादन हो जाता है जिसके कारण इन्सुलिन प्रतिरोध पर काबू पा लिया जाता है लेकिन कभी कभी ऐसा नहीं हो पाता। गर्भावस्था के दौरान जब महिला का अग्न्याशय पर्याप्त इन्सुलिन नहीं बना पाता तो उसके कारण मधुमेह होता है।
टाइप 2 मधुमेह की तरह, बढ़ा हुआ वजन गर्भावस्था के दौरान होने वाले मधुमेह से भी जुड़ा हुआ होता है। जो महिलाएं मोटी या अधिक वजन वाली होती हैं उनमें गर्भवती होने से पहले ही शरीर इन्सुलिन का प्रयोग करना बंद कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान बहुत ज़्यादा वजन बढ़ जाना भी इसका एक कारण हो सकता है।
यदि किसी महिला के परिवार में किसी को मधुमेह हुआ हो तो उसमें गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे यह समझ सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होने में जीन का महत्वपूर्ण योगदान है।
जीन संबंधी परिवर्तन, अन्य बीमारियां, अग्न्याशय का खराब होना, और कुछ दवाइयों के कारण भी मधुमेह हो सकता है।
हॉर्मोन संबंधी कुछ बीमारियों के कारण आपका शरीर कुछ विशेष हॉर्मोन की अत्यधिक मात्रा उत्पन्न करता है, जिसके कारण शरीर इन्सुलिन का उपयोग नहीं कर पाता और मधुमेह होता है।
अग्नाशयशोथ (pancreatitis), अग्न्याशय का कैंसर और जख्म, यह सब बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं या इनकी इन्सुलिन को उत्पन्न करने की क्षमता कम कर सकते हैं। यदि खराब अग्न्याशय को हटा दिया जाए तो बीटा कोशिकाओं की कमी के कारण मधुमेह हो सकता है।
कई बार कुछ विशेष दवाएं भी बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं या इन्सुलिन के कार्य में बाधा डाल सकती हैं। इनमें शामिल हैं:
स्टैटिन (statins), इन दवाओं का उपयोग कम-घनत्व लिपोप्रोटीन (LDL) या ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल के स्तरों को कम करने के लिए होता है, जिसके कारण आपको मधुमेह होने की संभावना बढ़ सकती है। हालाँकि यह दवाएं आपको हृदय की बीमारी और दौरे से बचाती हैं। इस कारण से, इस दवाई को लेने से होने वाले फायदे, इससे होने वाली समस्या की संभावना के सामने कई ज़्यादा हैं।
अगर आप इनमें से कोई भी दवा ले रहें हैं और इसके दुष्प्रभाव को लेकर चिंतित हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें।