शॉक या सदमा तब लगता है जब आपके अंगों और ऊतकों तक रक्त और ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं जा पाती है। इसकी वजह से रक्तचाप बहुत कम हो जाता है और यह जानलेवा हो सकता है। यह अक्सर गंभीर चोट के साथ होता है।
शॉक के कई प्रकार हैं। हाइपोवॉल्मिक शॉक तब होता है जब आपका बहुत सारा रक्त या तरल समाप्त हो जाता है। इसके कारणों में आंतरिक या बाहरी रक्तस्राव, निर्जलीकरण, जलन और गंभीर उल्टी और/या दस्त शामिल हैं। सेप्टिक शॉक रक्तप्रवाह में संक्रमणों की वजह से होता है। गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया की वजह से एनाफीलेक्टिक शॉकहो सकता है। किसी कीड़े के काटने या डंक मारने से यह होता है। कार्डियोजेनिक शॉक तब होता है जब हृदय ठीक तरीके से रक्त पंप नहीं कर पाता है। यह हृदयाघात के बाद हो सकता है। न्यूरोजेनिक शॉक तंत्रिका तंत्र में क्षति की वजह से हो सकता है।
शॉक के लक्षणों में शामिल हैं
शॉक एक जानलेवा चिकित्सा आपातकाल है और इसमें तुरंत सहायता पाना बहुत जरुरी है। शॉक का उपचार कारण पर निर्भर करता है।
एनआईएच: राष्ट्रीय हृदय, फेफड़ा और रक्त संस्थान